गुरुवार, 5 अगस्त 2010

बिन तेरे, न जीना बेहतर , न मरना बेहतर ....

बिन तेरे, न जीना बेहतर , न मरना बेहतर ....
यह बता दे जालिम, तू क्यों है इतनी बेहतर ....अरविन्द व्यास "प्यास"

आ भी जाओ के बस कुछ जवानी बाकी है
कुदरत की एक नायाब हसीन कहानी बाकी है ..."प्यास"

जाओगे तो बाद यादों मे आओगे,,,
किसी भी तरह, जीवन मे आओगे.....अरविंद व्यास "प्यास

वापसी का असल आशिक न सोचे
भागने का नकल आशिक न सोचे ...."प्यास"

हर आई डाल सूखे है और टूटे है
यह बोल, क्यों किसी को लूटे है........."प्यास"

इश्क करे है और जताये नहीं
इतनी बड़ी चोट, बताये नहीं ....अरविन्द व्यास "प्यास"

असल इश्क का कहाँ दीखता मंजर है
बड़ी गहराई है, सब बस अंदर अंदर है ....अरविन्द व्यास "प्यास"

जीवन सच्चे, झूठे वादों का ना होता...
सिलसिला कभी, यादों का ना होता..."प्यास"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें