यहां रोज-मर्रा की कवितायें प्रकाशित की जाती है....जो बाद में सम्पादित होने पर पुन: नये रूप में पेश होंगी
रविवार, 18 दिसंबर 2011
नज्म से शरारत
जब प्रीत कयामत लायक, हो जाती है
नज्म जालीम हो, नालायक हो जाती है ... "प्यास"
इश्क ने जो है, जिन्दगी लूटी
नज्म में फिर, जिन्दगी फूटी ... "प्यास"
हुश्न का ईठलाना खत्म
नज्म का नजराना खत्म.. "प्यास"
मेरी हर नज्म की गूंज है
प्रीत प्रसंग के ही, कुंज है ... "प्यास"
नज्म गजब की रही
जो अदा रब सी रही ... "प्यास’
माशुका का मन, नरम नरम
दे जाये है, नज्म गरम गरम ... "प्यास"
मेरी नज्म का शब्द शब्द
करे है, इश्क को निशब्द ... "प्यास"
नज्म में बडी है, गहराईयां बढी
ज्यो ज्यो इश्क की, हाला चढी ... "प्यास"
नज्म से नजदीकियां बढी
जो इश्क की किताब पढी... "प्यास"
नज्म की नाराजगी तो देखो
खलिश की, ताजगी तो देखो ... "प्यास"
मेरी नज्म की, नजाकत तो देखो
इश्क पे आ रही, आफत तो देखो ... "प्यास"
मेरी नज्म के, इतने नखरे
प्रीत शब्द, कितने खरे खरे... "प्यास"
नज्म की खातिर, इश्क किया
नज्म के प्याले से इश्क पीया... "प्यास"
वह न जिन्दगी में नजर आई है
मेरी हर नज्म में बस तनहाई है... "प्यास"
इश्क हुआ, आई एक बडी सीख
शायर हुआ, नज्म लिख लिख .... "प्यास"
जब जब, उनका, दिदार होता है
एक हसीं नज्म से करार होता है .... "प्यास"
अपनी वफायें, उसकी जफायें याद कर लेना
एक हसीं, नई नई नज्म, आबाद कर लेना ... "प्यास"
झुकी झुकी सी है नजर
मेरी नज्मो का है असर... "प्यास"
जम जम के लिखी, हुश्न पर नज्म लिखी
फिर पूरे जीवन बस नज्म ही नज्म दिखी ... "प्यास"
मेरी हर नज्म प्रीत पर
बस जीवन की रीत पर... "प्यास"
मेरी प्रीत को पर दे दो
नज्म को, असर दे दो ... "प्यास"
एक नज्म लिखनी चाही
कलम हो गई, अनचाही ... "प्यास।
इश्क हुआ, आई एक बडी सीख
शायर हुआ, नज्म लिख लिख .... "प्यास"
जब जब, उनका, दिदार होता है
एक हसीं नज्म से करार होता है .... "प्यास"
अपनी वफायें, उसकी जफायें याद कर लेना
एक हसीं, नई नई नज्म, आबाद कर लेना ... "प्यास"
झुकी झुकी सी है नजर
मेरी नज्मो का है असर... "प्यास"
जम जम के लिखी, हुश्न पर नज्म लिखी
फिर पूरे जीवन बस नज्म ही नज्म दिखी ... "प्यास"
वह अदा दिखा दिखा न थका
मै नज्म लिख लिख न थका
हुश्न तो हसते हसते न थका
इश्क तो मरते मरते न थका ... "प्यास"
कुछ प्यारी सी तस्वीरो की इनायत हो जाये
हमे कुछ उमदा, नज्मो की आदत हो जाये.... "प्यास"
इश्क में इतना जोर होता है
पूरे जीवन में, शोर होता है
-------------------------------
दिल जुडना या दिल टुटना जरूरी है
उमदा गजल के लिये लुटना जरूरी है ... "प्यास"
दिल जुडना या दिल टुटना जरूरी है
उमदा गजल के लिये लुटना जरूरी है ... "प्यास"
वो आये है, बज्म में खलबली तो देखो
जलिम पर नज्म बदली बदली तो देखो ... "प्यास"
तुझ पर जो भी लिखी नज्म है
खा ही जाती हर कोई बज्म है.... "प्यास"
मै सबसे रंगीला रसीक हूं
मै मालीक का आशिक हूं ... प्यास"
तुझे मेरी बज्म में चाहता हूं
तुझ पर मेरी नज्म चाहता हूं.... "प्यास"
दिल दूर ही रह, उस बज्म से
जहां इश्क न हो, तेरी नज्म से ..."प्यास"
जिस पर दिल बेकाबू आता दिखा है
इश्क की किस्मत में, वही लिखा है.... "प्यास"
मेरी इश्क से भीगी हरी भरी नज्म
जालिम बिन डकारे कर गई हज्म... "प्यास"
मेरी इश्क से हरीभरी नज्म
जालिम कैसे कर गई हज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता ही रहा, नज्म
वह जालीम न सजा सका, बज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता रहा, नज्म
वह न सजा सके उनकी बज्म... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है
जिन्दगी शोर मचा कर शब न दे
तुझ पर ही तो हर मेरी नज्म है ... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है... "प्यास"
गहरा गरम नगवार गम है
नज़्म लिखते आंखे नम है.... "प्यास"
क्या क्या, किस कदर सोच लेती है
मेरी नज्म को दिल में भींच लेती है ... "प्यास"
नज़्म की बज्म बंद
नब्ज की नज्म बंद.... प्यास
प्रीत प्रभु से सनी सनी
जिन्दगी बस बनी बनी
विषय प्रीत है ठनी ठनी
प्यास पैदा हो घनी घनी
मर कर न जिन्दगी मिटी
रूह जान पर बनी बनी ...."प्यास"
हरकते कमीन बनी
नज्म नमकीन बनी
हरकते हसीन बनी
नज्म है रंगीन बनी...प्यास
जीत रट है लगाई
हार भई है लुगाई..... "प्यास"
उसे जीत, न भाई
उसने प्रीत निभाई ... प्यास
जो बसाये, परम प्रीत धर
प्रीत, प्रीत बरसाये उन पर...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
चाहने वाले का दिल चूरती है...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
वह चाहने वाले को, घूरती है...."प्यास"
समय सर्वे-सर्वा, दे जहर या मेवा
सही सही स्वयं की, कर लो सेवा...."प्यास"
बुधवार, 30 नवंबर 2011
पहले अपनी समझ को समझना...फीर ही मेरी समझ को समझना
अटकना खटके, तो क्यो मटके....
भयहीन, भय भय, भारी भटके .... "प्यास"...
घटक घटक में, घट गये...
क्यो, जीवन से पट गये....
सुख से जो सट सट गये....
दुखो में आगे सीमट गये...
लटक लटक के पीट गये...
क्यो लार से, लीपट गये....
हटा हटा हो हलकट गये...
काट काट खुद कट गये... "प्यास"...
अन्याय मानव रचना...
न्याय प्रभु की रचना....
किसी का खून करना....
अपना है खून करना...
सफलता अपनी करना...
चाहे है घनघौर धरना ... "प्यास"...
नारी का नारायण नर...
नर का नारायण घर...
प्रीत को बीच में धर...
नर नारी तू न बिखर...
प्रभु का प्रताप बिखेर...
अब जीबन ले निखर.. "प्यास"...
मन तो है भया उतावला...
मन तो है भया बावला....
अंधेरे में देखे, समझे है...
कैसे भये जीवन उजला ... "प्यास"...
मानो सब मेरा है, जब तक डेरा है...
अंधेरे की न सोच, जब तक सवेरा है...
काम, मोह, लोभ, द्वेश और क्रोध...
सब माया का ही फैलाव और फेरा है .. "प्यास"...
मन भया है, कितना निराला...
हरा, लाल, पीला, निला काला...
जो काम का काम तमाम करे...
लाता बल से भारी भारी बला...
खुद का जीवन बदसुरत करने...
लाया बेहद्द सुंदर हूर सी बाला...
प्यास है, तो तालाब भी कई...
अब तल में जा लगा ले ताला...
नंगा खुबसुरत है, कपडे पहने...
सच को हमैशा, झूठ में ढाला....
नारायण नर व नर नारायण...
प्रभु तेने दिया, जीवन निराला.... "प्यास"...
नंगा नाच, नंगा नगाडा, नंगा न्याय...
नया नया नजारा, जमाने हाय हाय,,, "प्यास"...
भयहीन, भय भय, भारी भटके .... "प्यास"...
घटक घटक में, घट गये...
क्यो, जीवन से पट गये....
सुख से जो सट सट गये....
दुखो में आगे सीमट गये...
लटक लटक के पीट गये...
क्यो लार से, लीपट गये....
हटा हटा हो हलकट गये...
काट काट खुद कट गये... "प्यास"...
अन्याय मानव रचना...
न्याय प्रभु की रचना....
किसी का खून करना....
अपना है खून करना...
सफलता अपनी करना...
चाहे है घनघौर धरना ... "प्यास"...
नारी का नारायण नर...
नर का नारायण घर...
प्रीत को बीच में धर...
नर नारी तू न बिखर...
प्रभु का प्रताप बिखेर...
अब जीबन ले निखर.. "प्यास"...
मन तो है भया उतावला...
मन तो है भया बावला....
अंधेरे में देखे, समझे है...
कैसे भये जीवन उजला ... "प्यास"...
मानो सब मेरा है, जब तक डेरा है...
अंधेरे की न सोच, जब तक सवेरा है...
काम, मोह, लोभ, द्वेश और क्रोध...
सब माया का ही फैलाव और फेरा है .. "प्यास"...
मन भया है, कितना निराला...
हरा, लाल, पीला, निला काला...
जो काम का काम तमाम करे...
लाता बल से भारी भारी बला...
खुद का जीवन बदसुरत करने...
लाया बेहद्द सुंदर हूर सी बाला...
प्यास है, तो तालाब भी कई...
अब तल में जा लगा ले ताला...
नंगा खुबसुरत है, कपडे पहने...
सच को हमैशा, झूठ में ढाला....
नारायण नर व नर नारायण...
प्रभु तेने दिया, जीवन निराला.... "प्यास"...
नंगा नाच, नंगा नगाडा, नंगा न्याय...
नया नया नजारा, जमाने हाय हाय,,, "प्यास"...
शनिवार, 8 अक्तूबर 2011
नारी बडी चमत्कारी होती है.
कही न कही लाचारी होती है,
कितनी चालाक नारी होती है....
ममता लिये, न्यारी होती है,
नारी बडी चमत्कारी होती है....
फूलो की क्यारी, होती है,
नारी बडी, प्यारी होती है....
किस्मत की मारी होती है,
नारी बेहद बेचारी होती है.....
जीत की तैय्यारी होती है,
नारी कभी न हारी होती है....
प्रीतम पर वारी होती है,
नारी बडी दुलारी होती है....
दुश्मनो पर भारी होती है,
नारी तेज धारी आरी होती है....
अनेक रूप धारी होती है,
हर रूप में न्यारी होती है....
नारी में होशीयारी होती है,
हर रूप पर वारी होती है ...
कहे नारी हमारी होती है,
नही तो भ्रष्टाचारी होती है ...
अरविंद व्यास "प्यास"
सोमवार, 19 सितंबर 2011
नन्हे नगीने
नन्हे नगीने
प्रीत को छेड, प्रीत से खेल
जीवन भर बस. प्रीत झेल
==
बिन तेरे, न जीना बेहतर , न मरना बेहतर
यह बता दे जालिम, तू क्यों है इतनी बेहतर
==
आ भी जाओ के बस कुछ जवानी बाकी है
कुदरत की एक नायाब हसीन कहानी बाकी है
==
जाओगे तो बाद यादों मे आओगे,,,
किसी भी तरह, जीवन मे आओगे.....
==
वापसी का असल आशिक न सोचे
भागने का नकल आशिक न सोचे
==
हर आई डाल सूखे है और टूटे है
यह बोल, क्यों किसी को लूटे है
==
इश्क करे है और जताये नहीं
इतनी बड़ी चोट, बताये नहीं
==
असल इश्क का कहाँ दीखता मंजर है
बड़ी गहराई है, सब बस अंदर अंदर है
==
जीवन सच्चे, झूठे वादों का ना होता...
सिलसिला कभी, यादों का ना होता
==
तू न मेरी प्रीत को छेड...
यू न जीवन, हार उधेड
==
प्रीत में क्यो, कैसी होड...
यही प्रीत जीत का तोड
==
प्रीत में न, ऊंच नीच...
जो सोचे, वह है नीच
==
प्रीत को न डाल नकेल...
यू न तू जीवन से खेल
==
प्रीत का ले धक्का झेल...
फिर ले खुशियों से खेल
अरविन्द व्यास "प्यास"
बुधवार, 24 अगस्त 2011
इश्क में इतना जोर होता है
इश्क में इतना जोर होता है
पूरे जीवन में, शोर होता है
वर्षा देख, जो नाचने लगे
रसीक, रंगीला मोर होता है
प्रीत कर, चमत्कार करे
वह बस चितचोर होता है
काम होते बस देखता रहे
नालायक काम चोर होता है
चालाकी कर, हरामी बने
मवाली माल चोर होता है
खुद वह नहीं कर सकता
बेकार बस, बोर होता है
समझ को सोतन समझे
वह गवार, ढोर होता है
दिल दरिया हो, बूंद हो
सब उसके बतौर होता है
"प्यास" को कैसे समझे
वह न खुला डोर होता है .... "प्यास"
पूरे जीवन में, शोर होता है
वर्षा देख, जो नाचने लगे
रसीक, रंगीला मोर होता है
प्रीत कर, चमत्कार करे
वह बस चितचोर होता है
काम होते बस देखता रहे
नालायक काम चोर होता है
चालाकी कर, हरामी बने
मवाली माल चोर होता है
खुद वह नहीं कर सकता
बेकार बस, बोर होता है
समझ को सोतन समझे
वह गवार, ढोर होता है
दिल दरिया हो, बूंद हो
सब उसके बतौर होता है
"प्यास" को कैसे समझे
वह न खुला डोर होता है .... "प्यास"
मंगलवार, 23 अगस्त 2011
इश्क में इतना जोर होता है
इश्क में इतना जोर होता है
पूरे जीवन में, शोर होता है
-------------------------------
दिल जुडना या दिल टुटना जरूरी है
उमदा गजल के लिये लुटना जरूरी है
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इश्क का इतना हिसाब है
इश्क में गम, बेहिसाब है
आखों मे आब ही आब है
जहां ताब, वहां न आब है ... "प्यास"
-------------------------
इश्क में जो चोट आती है
शायर को, बेहद्द भाती है
अहसासो के हर लब्ज पर
अंदर अंदर बेहद्द रूलाती है ... "प्यास"
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काश हर दिन से लगा, गम-ए-इश्क हो
ख्वाब में मिलते, हम ले हक-ए-इश्क हो.... "प्यास"
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माया किसी भी, रूप आई
कठीन, कडक ले धूप आई
जीवन जीसे न, छोड सके
परम प्रीत के स्वरूप आई ... "प्यास"
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दिल से जो उसने याद किया
हमने हर वादा आबाद किया
दिल से जो है मुस्कान फैली
मरे इश्क को जिंदाबाद किया... "प्यास"
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Arvind Vyas "Pyas"
रविवार, 21 अगस्त 2011
शुभ प्रभाती सबसे बोलो
शुभ प्रभाती सबसे बोलो
हर का, हरि मन हरलो
J
सफलता प्रबंधन, सुख प्रबंधन, रिस्तों प्रबंधन, जीवन प्रबंधन, घटना, घटक घटक प्रबंधन का परम तंत्र है
आप अगर अपनी दुनिया में कुछ अदभुद करना चाहते है तो "शुभ प्रभाती" सबसे बोलो
आप अगर अपनी दुनिया में पग पग सफलता चाहते हो, तो "शुभ प्रभाती" सबसे बोलो
पर शुभ प्रभाती बोल, बिन किसी द्वेश, बिन किसी कपट, के आथ निकलने चाहिये
इस्से आपका खुद का स्वभाव व चरित्र में अच्छा, सुंदर बदलाव आयेगा
लोगो का आपकी तरफ़ रूझान सकारातमक होगा, आदर व प्रेम व मदत रूप ले होगा
आपको जीना सुखमय लगेगा, हमैशा मुस्कान बनी रहेगी..... आदि आदि
आप कोशिश करीये, 1 साल के अंदर नतीजा जरूर मिलेगा
पर सच्चे मन से, बिन द्वेष, बिन संकोच, जो सामने आये सभी से, और सही जवाब की अपेक्षा बिन
कोई जवाब वापस दे न दे, पर आप मूल कर्तव्य की भाती करते रहे
इन निचे लिखी पंक्तियों को पढे व शूभ प्रभाती, शुभ दुपहरिया, शुभ संध्या, शुभ रात्री के शुभ शुभ गुण समझे
J
देखना चाहते हो सूरते मुस्कराती
सभी से कहते चलो शुभ प्रभाती
देखना चाहते, किस्मत करामाती
सभी से कहते रहो, शुभ प्रभाती
देखना चाहते, किस्मत चमचमाती
सभी से कहते रहो, शुभ प्रभाती
J
द्वेष रहित मुस्कुराहट होती
तो हो ती सही शुभ प्रभाती
"प्यास" को पराजित कर
सबसे बोलो शुभ प्रभाती -
J
सफलता का एक राज
मधुर मधुर हो आवाज
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
सहज, द्वेष रहित भाती
बन ही जाते काम काज
J
शुभ प्रभाती सबसे बोलो
द्वेष रहित दिल को खोलो
शुभ दुपहरिया सबसे बोलो
तन कंचन सी धूप में धोलो
शुभ संध्या सबसे बोलो
प्रीत तुम मन में घोलो
शुभ रात्रि सबसे बोलो
प्रभु "प्यास" ले चैन से सो लो
शुभ शुभ सबसे बोलो
शुभ्रता लिये जीवन जीलो
द्वेष रहित मुस्कुराहट होती
तो होती सही शुभ प्रभाती
"प्यास" को पराजित कर
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
J
उठो उठो जी, करो न गलती
कह दो जन जन से शुभ प्रभाती
जीवन से ही जीवन सुख पाये
अब देखो कैसे खुशहाली आती
प्यास रहे बस आती जाती
J
निशा ने निशानी छोडी
प्रभा क्यो बैठे निगोडी
बोल ही लो शुभ प्रभाती
द्वेशो को मार हथोडी
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
बनो उजाला देती बाती
जलने, मिटने को भूलो
हर हरि हरैया गा लो
हर हरि इच्छा बोलो
बस सुख चैन में खो लो
होगी बस मौक्ष प्राप्ति
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
जीवन का परम मन्त्र
सफलता का बस तन्त्र
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
प्रकट हो तममें प्रभु प्रवृति
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
दिखेंगी मुस्कराहटें पास आती
कम होंगे अहम, द्वेष, रोष
दुनिया होगी खुशियॉ उगाती
जीवन में होगा अब पानी पानी
"प्यास" भी नहीं नाच नचाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
भय भूतनी नहीं भरमाती
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
प्रकट हो पल पल प्रगती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
उषा तो देख देख मुस्कराती
निशा भी है साथ निभाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
जन जन में उमंग जगाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
लोभ, लाभ लत न लुभाती
J
देखना चाहते हो सूरते मुस्कराती
सभी से कहते चलो शुभ प्रभाती
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
महनत में मस्ती मदमाती
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
माफी मैं गल जाये गलति
J
सब से बोलो शुभ प्रभाती
सब से बोलो शुभ प्रभाती
जन जन से जुड, जगत जगाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
भला होगा, भली भाँति
J
सबसे बोलो शुभ शुभ प्रभाती
अगर मगर कर जाये अघाती
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
जीवन में पाओगे ख्याति
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
हो जाये, हरियाली धरती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
खुशी आयें, भाँति भाँति
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
एक अदभुद कर्म करामाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
मुस्करायें मनमीत की मति
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
सुधरे नियत, सुधरे नियति
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
तुम्हरि सूरत लगे लुभाति
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
जलन भावना घटती जाती
जलन जंग नहीं करवाती
खत्म हो जलु सी ख्याति
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
सीरत यह सबको सूहाती
चमत्कार चमके, चमकाये
दुश्मन भी हो जाये साथी
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
नियती में प्रकटे प्रभाती
J
सबसे बोलो शुभ प्रभाती
आसाये आसानी से आती
J
सब से बोलो शुभ प्राभाती
जतादो जिन्दागी की जागरुति
J
सब से बोलो शुभ प्राभाती
सरलता, सहजता समाती
J
सब से बोलो शुभ प्राभाती
विपदायें आना थम जाती
शुक्रवार, 19 अगस्त 2011
संघर्षी, सच्चे अन्ना (बडे भाई) के संघर्ष पर
संघर्षी, सच्चे अन्ना (बडे भाई) के संघर्ष पर
मानव की एकता,
मानव क्या,
भगवन है देखता
यैसे मानव,
मानव समाज का,
भाग्य है लिखता.... "प्यास"
गर कुछ है बनाना, बनना,
बन ही जाओ अन्ना .
सत्य साथ साथ चलो,
चलते रहो, न रूकना .
मानव ले, मानवता ले,
हो मानव का धरना ,
भ्रष्टाचार को झंझोडो,
आगे कभी न झुकना ,
भ्रष्टो का भंडार हो तो,
क्रांती ले है उगना, क्रान्ती ले जगना ..... "प्यास"
बापू का भारत, गुलामी से आजादी
अन्ना का भारत, भ्रष्टो से आजादी
अब बस मानव होना ही बाकी होगा
मानव का भारत, द्वेषो से आजादी.... "प्यास"
मानव की एकता,
मानव क्या,
भगवन है देखता
यैसे मानव,
मानव समाज का,
भाग्य है लिखता.... "प्यास"
गर कुछ है बनाना, बनना,
बन ही जाओ अन्ना .
सत्य साथ साथ चलो,
चलते रहो, न रूकना .
मानव ले, मानवता ले,
हो मानव का धरना ,
भ्रष्टाचार को झंझोडो,
आगे कभी न झुकना ,
भ्रष्टो का भंडार हो तो,
क्रांती ले है उगना, क्रान्ती ले जगना ..... "प्यास"
बापू का भारत, गुलामी से आजादी
अन्ना का भारत, भ्रष्टो से आजादी
अब बस मानव होना ही बाकी होगा
मानव का भारत, द्वेषो से आजादी.... "प्यास"
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
नज्म से शरारतें
मेरी इश्क से भीगी हरी भरी नज्म
जालिम बिन डकारे कर गई हज्म... "प्यास"
मेरी इश्क से हरीभरी नज्म
जालिम कैसे कर गई हज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता ही रहा, नज्म
वह जालीम न सजा सका, बज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता रहा, नज्म
वह न सजा सके उनकी बज्म... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है
जिन्दगी शोर मचा कर शब न दे
तुझ पर ही तो हर मेरी नज्म है ... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है... "प्यास"
गहरा गरम नगवार गम है
नज़्म लिखते आंखे नम है.... "प्यास"
क्या क्या, किस कदर सोच लेती है
मेरी नज्म को दिल में भींच लेती है ... "प्यास"
नज़्म की बज्म बंद
नब्ज की नज्म बंद.... प्यास
प्रीत प्रभु से सनी सनी
जिन्दगी बस बनी बनी
विषय प्रीत है ठनी ठनी
प्यास पैदा हो घनी घनी
मर कर न जिन्दगी मिटी
रूह जान पर बनी बनी ...."प्यास"
हरकते कमीन बनी
नज्म नमकीन बनी
हरकते हसीन बनी
नज्म है रंगीन बनी...प्यास
जीत रट है लगाई
हार भई है लुगाई..... "प्यास"
उसे जीत, न भाई
उसने प्रीत निभाई ... प्यास
जो बसाये, परम प्रीत धर
प्रीत, प्रीत बरसाये उन पर...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
चाहने वाले का दिल चूरती है...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
वह चाहने वाले को, घूरती है...."प्यास"
समय सर्वे-सर्वा, दे जहर या मेवा
सही सही स्वयं की, कर लो सेवा...."प्यास"
जालिम बिन डकारे कर गई हज्म... "प्यास"
मेरी इश्क से हरीभरी नज्म
जालिम कैसे कर गई हज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता ही रहा, नज्म
वह जालीम न सजा सका, बज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता रहा, नज्म
वह न सजा सके उनकी बज्म... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है
जिन्दगी शोर मचा कर शब न दे
तुझ पर ही तो हर मेरी नज्म है ... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है... "प्यास"
गहरा गरम नगवार गम है
नज़्म लिखते आंखे नम है.... "प्यास"
क्या क्या, किस कदर सोच लेती है
मेरी नज्म को दिल में भींच लेती है ... "प्यास"
नज़्म की बज्म बंद
नब्ज की नज्म बंद.... प्यास
प्रीत प्रभु से सनी सनी
जिन्दगी बस बनी बनी
विषय प्रीत है ठनी ठनी
प्यास पैदा हो घनी घनी
मर कर न जिन्दगी मिटी
रूह जान पर बनी बनी ...."प्यास"
हरकते कमीन बनी
नज्म नमकीन बनी
हरकते हसीन बनी
नज्म है रंगीन बनी...प्यास
जीत रट है लगाई
हार भई है लुगाई..... "प्यास"
उसे जीत, न भाई
उसने प्रीत निभाई ... प्यास
जो बसाये, परम प्रीत धर
प्रीत, प्रीत बरसाये उन पर...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
चाहने वाले का दिल चूरती है...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
वह चाहने वाले को, घूरती है...."प्यास"
समय सर्वे-सर्वा, दे जहर या मेवा
सही सही स्वयं की, कर लो सेवा...."प्यास"
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
जिन्दगी का मतलब हो जाये
जिन्दगी का मतलब हो जाये
शराब की बस, शब हो जाये
इंशानियत की तलब हो जाये
जहां गुलिस्तां ए रब हो जाये
इंशा बने तो, पता न चले
कडवाहट कम कब हो जाये
प्यार आज, अब हो जाये
तम तबादला तब हो जाये
मंजर अजब,गजब हो जाये
प्यास बिन जो लब हो जाये
"प्यास"
शराब की बस, शब हो जाये
इंशानियत की तलब हो जाये
जहां गुलिस्तां ए रब हो जाये
इंशा बने तो, पता न चले
कडवाहट कम कब हो जाये
प्यार आज, अब हो जाये
तम तबादला तब हो जाये
मंजर अजब,गजब हो जाये
प्यास बिन जो लब हो जाये
"प्यास"
सोमवार, 20 जून 2011
प्यास परिभाषा
प्यास परिभाषा
प्यास वो है जो द्वेश पैदा करे
नन्हे से जीवन में देश पैदा करे...."प्यास"
प्यास लिये जो प्यासे है
कैसी चला रहे सांसे है
चिनी, पानी घोल जता
स्वार्थ के फेंकते पांसे है..."प्यास"
समय के अनुरूप है
भविष्य सुंदर रूप है...."प्यास"
समय की सही समझ है
अनुकूल सभी, सुलझ है...."प्यास"
प्यास वो है जो द्वेश पैदा करे
नन्हे से जीवन में देश पैदा करे...."प्यास"
प्यास लिये जो प्यासे है
कैसी चला रहे सांसे है
चिनी, पानी घोल जता
स्वार्थ के फेंकते पांसे है..."प्यास"
समय के अनुरूप है
भविष्य सुंदर रूप है...."प्यास"
समय की सही समझ है
अनुकूल सभी, सुलझ है...."प्यास"
सोमवार, 3 जनवरी 2011
बीज को चाहिये तावीज, तब ही उगे है बीज
बीज को चाहिये तावीज, तब ही उगे है बीज
उग जाये, असल बीज है
न उगे , खुदा हाफिज है
बीज को जो ताड बनाये,
वही देता येसा ताविज है...."प्यास"
दुख हमेशा द्स्यु सा, परम सुख मृत्यु सा.
जिन्दगी निराशायें देते देते मृत्यु दे गई
समस्त निराशाको का अंत मृत्यु दे गई...."प्यास"
करले कबूल, बबूल
भूल फूल, चुनले सूल
करले मूल प्रीत कबुल...."प्यास"
बाग नशीले फूल दे, जंगल जीवन मूल दे
मना जगंल में, मगंल
बागो में भयंकर दंगल...."प्यास"
मुझे लगे वह खास सी दुनिया
किसी के मन में, आवास की दुनिया
किसी के प्रीत के आभास की दुनिया...."प्यास"
उग जाये, असल बीज है
न उगे , खुदा हाफिज है
बीज को जो ताड बनाये,
वही देता येसा ताविज है...."प्यास"
दुख हमेशा द्स्यु सा, परम सुख मृत्यु सा.
जिन्दगी निराशायें देते देते मृत्यु दे गई
समस्त निराशाको का अंत मृत्यु दे गई...."प्यास"
करले कबूल, बबूल
भूल फूल, चुनले सूल
करले मूल प्रीत कबुल...."प्यास"
बाग नशीले फूल दे, जंगल जीवन मूल दे
मना जगंल में, मगंल
बागो में भयंकर दंगल...."प्यास"
मुझे लगे वह खास सी दुनिया
किसी के मन में, आवास की दुनिया
किसी के प्रीत के आभास की दुनिया...."प्यास"
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