मेरी इश्क से भीगी हरी भरी नज्म
जालिम बिन डकारे कर गई हज्म... "प्यास"
मेरी इश्क से हरीभरी नज्म
जालिम कैसे कर गई हज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता ही रहा, नज्म
वह जालीम न सजा सका, बज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता रहा, नज्म
वह न सजा सके उनकी बज्म... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है
जिन्दगी शोर मचा कर शब न दे
तुझ पर ही तो हर मेरी नज्म है ... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है... "प्यास"
गहरा गरम नगवार गम है
नज़्म लिखते आंखे नम है.... "प्यास"
क्या क्या, किस कदर सोच लेती है
मेरी नज्म को दिल में भींच लेती है ... "प्यास"
नज़्म की बज्म बंद
नब्ज की नज्म बंद.... प्यास
प्रीत प्रभु से सनी सनी
जिन्दगी बस बनी बनी
विषय प्रीत है ठनी ठनी
प्यास पैदा हो घनी घनी
मर कर न जिन्दगी मिटी
रूह जान पर बनी बनी ...."प्यास"
हरकते कमीन बनी
नज्म नमकीन बनी
हरकते हसीन बनी
नज्म है रंगीन बनी...प्यास
जीत रट है लगाई
हार भई है लुगाई..... "प्यास"
उसे जीत, न भाई
उसने प्रीत निभाई ... प्यास
जो बसाये, परम प्रीत धर
प्रीत, प्रीत बरसाये उन पर...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
चाहने वाले का दिल चूरती है...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
वह चाहने वाले को, घूरती है...."प्यास"
समय सर्वे-सर्वा, दे जहर या मेवा
सही सही स्वयं की, कर लो सेवा...."प्यास"
यहां रोज-मर्रा की कवितायें प्रकाशित की जाती है....जो बाद में सम्पादित होने पर पुन: नये रूप में पेश होंगी
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
जिन्दगी का मतलब हो जाये
जिन्दगी का मतलब हो जाये
शराब की बस, शब हो जाये
इंशानियत की तलब हो जाये
जहां गुलिस्तां ए रब हो जाये
इंशा बने तो, पता न चले
कडवाहट कम कब हो जाये
प्यार आज, अब हो जाये
तम तबादला तब हो जाये
मंजर अजब,गजब हो जाये
प्यास बिन जो लब हो जाये
"प्यास"
शराब की बस, शब हो जाये
इंशानियत की तलब हो जाये
जहां गुलिस्तां ए रब हो जाये
इंशा बने तो, पता न चले
कडवाहट कम कब हो जाये
प्यार आज, अब हो जाये
तम तबादला तब हो जाये
मंजर अजब,गजब हो जाये
प्यास बिन जो लब हो जाये
"प्यास"
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