यहां रोज-मर्रा की कवितायें प्रकाशित की जाती है....जो बाद में सम्पादित होने पर पुन: नये रूप में पेश होंगी
शनिवार, 8 अक्तूबर 2011
नारी बडी चमत्कारी होती है.
कही न कही लाचारी होती है,
कितनी चालाक नारी होती है....
ममता लिये, न्यारी होती है,
नारी बडी चमत्कारी होती है....
फूलो की क्यारी, होती है,
नारी बडी, प्यारी होती है....
किस्मत की मारी होती है,
नारी बेहद बेचारी होती है.....
जीत की तैय्यारी होती है,
नारी कभी न हारी होती है....
प्रीतम पर वारी होती है,
नारी बडी दुलारी होती है....
दुश्मनो पर भारी होती है,
नारी तेज धारी आरी होती है....
अनेक रूप धारी होती है,
हर रूप में न्यारी होती है....
नारी में होशीयारी होती है,
हर रूप पर वारी होती है ...
कहे नारी हमारी होती है,
नही तो भ्रष्टाचारी होती है ...
अरविंद व्यास "प्यास"
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