यहां रोज-मर्रा की कवितायें प्रकाशित की जाती है....जो बाद में सम्पादित होने पर पुन: नये रूप में पेश होंगी
रविवार, 18 दिसंबर 2011
नज्म से शरारत
जब प्रीत कयामत लायक, हो जाती है
नज्म जालीम हो, नालायक हो जाती है ... "प्यास"
इश्क ने जो है, जिन्दगी लूटी
नज्म में फिर, जिन्दगी फूटी ... "प्यास"
हुश्न का ईठलाना खत्म
नज्म का नजराना खत्म.. "प्यास"
मेरी हर नज्म की गूंज है
प्रीत प्रसंग के ही, कुंज है ... "प्यास"
नज्म गजब की रही
जो अदा रब सी रही ... "प्यास’
माशुका का मन, नरम नरम
दे जाये है, नज्म गरम गरम ... "प्यास"
मेरी नज्म का शब्द शब्द
करे है, इश्क को निशब्द ... "प्यास"
नज्म में बडी है, गहराईयां बढी
ज्यो ज्यो इश्क की, हाला चढी ... "प्यास"
नज्म से नजदीकियां बढी
जो इश्क की किताब पढी... "प्यास"
नज्म की नाराजगी तो देखो
खलिश की, ताजगी तो देखो ... "प्यास"
मेरी नज्म की, नजाकत तो देखो
इश्क पे आ रही, आफत तो देखो ... "प्यास"
मेरी नज्म के, इतने नखरे
प्रीत शब्द, कितने खरे खरे... "प्यास"
नज्म की खातिर, इश्क किया
नज्म के प्याले से इश्क पीया... "प्यास"
वह न जिन्दगी में नजर आई है
मेरी हर नज्म में बस तनहाई है... "प्यास"
इश्क हुआ, आई एक बडी सीख
शायर हुआ, नज्म लिख लिख .... "प्यास"
जब जब, उनका, दिदार होता है
एक हसीं नज्म से करार होता है .... "प्यास"
अपनी वफायें, उसकी जफायें याद कर लेना
एक हसीं, नई नई नज्म, आबाद कर लेना ... "प्यास"
झुकी झुकी सी है नजर
मेरी नज्मो का है असर... "प्यास"
जम जम के लिखी, हुश्न पर नज्म लिखी
फिर पूरे जीवन बस नज्म ही नज्म दिखी ... "प्यास"
मेरी हर नज्म प्रीत पर
बस जीवन की रीत पर... "प्यास"
मेरी प्रीत को पर दे दो
नज्म को, असर दे दो ... "प्यास"
एक नज्म लिखनी चाही
कलम हो गई, अनचाही ... "प्यास।
इश्क हुआ, आई एक बडी सीख
शायर हुआ, नज्म लिख लिख .... "प्यास"
जब जब, उनका, दिदार होता है
एक हसीं नज्म से करार होता है .... "प्यास"
अपनी वफायें, उसकी जफायें याद कर लेना
एक हसीं, नई नई नज्म, आबाद कर लेना ... "प्यास"
झुकी झुकी सी है नजर
मेरी नज्मो का है असर... "प्यास"
जम जम के लिखी, हुश्न पर नज्म लिखी
फिर पूरे जीवन बस नज्म ही नज्म दिखी ... "प्यास"
वह अदा दिखा दिखा न थका
मै नज्म लिख लिख न थका
हुश्न तो हसते हसते न थका
इश्क तो मरते मरते न थका ... "प्यास"
कुछ प्यारी सी तस्वीरो की इनायत हो जाये
हमे कुछ उमदा, नज्मो की आदत हो जाये.... "प्यास"
इश्क में इतना जोर होता है
पूरे जीवन में, शोर होता है
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दिल जुडना या दिल टुटना जरूरी है
उमदा गजल के लिये लुटना जरूरी है ... "प्यास"
दिल जुडना या दिल टुटना जरूरी है
उमदा गजल के लिये लुटना जरूरी है ... "प्यास"
वो आये है, बज्म में खलबली तो देखो
जलिम पर नज्म बदली बदली तो देखो ... "प्यास"
तुझ पर जो भी लिखी नज्म है
खा ही जाती हर कोई बज्म है.... "प्यास"
मै सबसे रंगीला रसीक हूं
मै मालीक का आशिक हूं ... प्यास"
तुझे मेरी बज्म में चाहता हूं
तुझ पर मेरी नज्म चाहता हूं.... "प्यास"
दिल दूर ही रह, उस बज्म से
जहां इश्क न हो, तेरी नज्म से ..."प्यास"
जिस पर दिल बेकाबू आता दिखा है
इश्क की किस्मत में, वही लिखा है.... "प्यास"
मेरी इश्क से भीगी हरी भरी नज्म
जालिम बिन डकारे कर गई हज्म... "प्यास"
मेरी इश्क से हरीभरी नज्म
जालिम कैसे कर गई हज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता ही रहा, नज्म
वह जालीम न सजा सका, बज्म... "प्यास"
मै उन पर बनाता रहा, नज्म
वह न सजा सके उनकी बज्म... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है
जिन्दगी शोर मचा कर शब न दे
तुझ पर ही तो हर मेरी नज्म है ... "प्यास"
क्यो गुमसुम यह, तेरी बज्म है
जब बडे बोल बोले मेरी नज्म है... "प्यास"
गहरा गरम नगवार गम है
नज़्म लिखते आंखे नम है.... "प्यास"
क्या क्या, किस कदर सोच लेती है
मेरी नज्म को दिल में भींच लेती है ... "प्यास"
नज़्म की बज्म बंद
नब्ज की नज्म बंद.... प्यास
प्रीत प्रभु से सनी सनी
जिन्दगी बस बनी बनी
विषय प्रीत है ठनी ठनी
प्यास पैदा हो घनी घनी
मर कर न जिन्दगी मिटी
रूह जान पर बनी बनी ...."प्यास"
हरकते कमीन बनी
नज्म नमकीन बनी
हरकते हसीन बनी
नज्म है रंगीन बनी...प्यास
जीत रट है लगाई
हार भई है लुगाई..... "प्यास"
उसे जीत, न भाई
उसने प्रीत निभाई ... प्यास
जो बसाये, परम प्रीत धर
प्रीत, प्रीत बरसाये उन पर...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
चाहने वाले का दिल चूरती है...."प्यास"
खुबरूरती मे एक बदसुरती है
वह चाहने वाले को, घूरती है...."प्यास"
समय सर्वे-सर्वा, दे जहर या मेवा
सही सही स्वयं की, कर लो सेवा...."प्यास"
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